Santosh kumar koli ' अकेला' 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक जीने का फ़लसफ़ा 89239 0 Hindi :: हिंदी
संवेदनशीलता, दिल को देती मरोड़। नकटे संसार में नाक है, खाजमय कोढ़। नाक वाले का मरण, जीवन जोड़ बेजोड़। नकटा होता नंबरी, नीचे दो चाहे ऊपर दो, सोता दुलाई ओढ़। न असर, न कसर, सिलबट्टा बनो। जीना है, तो नकटा बनो। संवेदनशीलता के, नाक दिल होते नाजुक। निष्ठुर संसार में, नाक वाले पाते दुख। बात -बात नाक का बाल, नाक की दिल पर चाबुक। नकटा रहता सफ़ाचट, न डांट, न हुक, तुक। पूर्णांक नहीं, सही बटा बनो। जीना है, तो नकटा बनो। नाक काटने को दुनिया, खड़ी हाथ ले चोखी धार। जिसे बचाते, जिसे लुकाते, उसकी ही मारामार। नाक बची न खुद बचे, कोतल, कोई बनो सवार। जीवन जीना है, तो नाक को दे दो उधार। कुछ मीठा, कुछ खट्टा बनो। जीना है, तो नकटा बनो। जीना है, तो नकटा बनो।