SACHIN KUMAR SONKER 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य GOOGLE सूरज 68132 0 Hindi :: हिंदी
शीर्षक (सूरज) मेरे अल्फ़ाज़ (सचिन कुमार सोनकर) रोज सवेरे आते हो। हमको रोज जागते हो। नया सवेरा लाते हो। आलस्य दूर भगाते हो। ऊर्जा से भर जाते हो। अपना काम कर जाते हो। हर दिन उम्मीद की एक नई किरण जागते हो। रोज सवेरे आते हो।। काम कितने तुम आते हो। जीवन का अँधियारा दूर भागते हो। हम तो थक जाते है। तुम ना जाने क्या खा के आते हो। करते हो तुम इतना काम । नही माँगते कोई दाम । सूर्यदेव आप को है मेरा प्रणाम। रोज सवेरे आते हो।। अगर तुम ना आते सारे काम है रूक जाते। हम तुम बिन कैसा जीवित रह पाते। पेड़ पौधे सभी मुरझा जाते। पशु पछी सब मर जाते। हम सब ऑक्सीजन कहाँ से पाते। हम सब तो यूही मर जाते। अगर तुम रोज सवेरे ना आते।।