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सूरवीर-बस वीर नहीं शूरवीर हो तुम

DIGVIJAY NATH DUBEY 24 May 2023 कविताएँ देश-प्रेम #indianarmy #दिग्दर्शन 9180 0 Hindi :: हिंदी

शूरवीर 



बस वीर नहीं शूरवीर हो तुम 
इस जनता कि तकदीर हो तुम ।

तेरी रक्षा के साए में
फूले फनगे और बड़े हुए ।
तेरे त्यागी व्यवहारों से 
कर्मठ और सशक्त हुए ।।

खाई गोली सीने पर जो
उसका मुझपर तो उधार अभी ।
तेरे दुश्मन से बदला भी 
मुझपर भी है अधिकार अभी ।।

चिंता भी किसी की ना रहती 
है खड़ा कोई है द्वारे पे ।
सो लेते हैं मस्ती में जो 
उस पूष भरे अंधियारों में ।।

बचवाया कईयों बार हमें 
उन दुश्मन के टंकारो से ।
हिला दिया है दैत्यक को 
अपने उन सफल प्रहारों से ।।

उस मां को अब मै क्या बोलूं 
वो माता नहीं है देवी है। 
जो तुझे जन्म देकर अबतक 
धरती को बनाया बेदी है ।।

सालों तक जो घर पर रहकर 
परिवार सुकून को जीते हैं ।
तुमसे भी कोई पूछे जो
बस बर्फ के ओले पीते हैं ।।

जो सो लेते हैं मखमल के 
पंखों वाले उस बिस्तर पे ।
काटे हैं कईयों रात अधिक  
सफेद बर्फ के सोलों में ।।

नमन करूं मैं बार बार 
इस भारत की लकीर हो तुम ।
बस वीर नहीं शूरवीर हो तुम 
इस जनता कि तकदीर हो तुम ।।


दिग्दर्शन

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