Vipin Bansal 27 May 2023 कविताएँ धार्मिक 9887 0 Hindi :: हिंदी
कविता - ( दुख ) सुख में न जीना आया ! दुख ने सिखाया जीना !! दुख भला हो तेरा ! जो पत्थर बन गया हीरा !! सुख में न जीना आया ! दुख ने सिखाया जीना !! सुख में खुद को भी भुला ! दुख में जहॉं को पहचाना !! सुख में इसां बन न पाया ! दुख मेंं इसां मैं बन पाया !! दुख भला हो तेरा ! जो छूटा आदम डेरा !! सुख में न जीना आया ! दुख ने सिखाया जीना !! दुख के गंगा जल से ! पाप धुल गए मेरे सारे !! दुख की गंगा में डूबा चोला ! माया पर्दे हट गए सारे !! दुख भला हो तेरा ! जो छूटा नौ महीनो का फेरा !! सुख में न जीना आया ! दुख ने सिखाया जीना !! जब से दुख तू जीवन में आया ! राम बस गए मेरे घट में !! प्यार के ऐसे बंधन में जकड़ा ! अब सिया राम हैं मेरे वश में !! दुख भला हो तेरा ! जो छूटा मोह का डेरा !! सुख में न जीना आया ! दुख ने सिखाया जीना !! मेरे मन को जिसने घेरा ! उसमें वासना का डेरा !! मन हुआ मेरा खाली ! जब दुख ने दस्तक दे डाली !! दुख भला हो तेरा ! जो निर्मल मन है मेरा !! सुख में न जीना आया ! दुख ने सिखाया जीना !! आनंद अब होगा सुख में ! जब दुख आँगन में आया !! जीवन अब तुझको समझूंगा ! जब मौत से मिलके आया !! दुख भला हो तेरा ! जो निगला मन का अधेंरा !! सुख में न जीना आया ! दुख ने सिखाया जीना !! विपिन बंसल