Suraj pandit 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य My mother 49511 0 Hindi :: हिंदी
न मिला वह कंधा, बैठ दुनिया देखने की। न वह अंगुली, पकड़ गलियां घुमने की। न मिला स्नेह उसका गलतियों में राह दिखाने की । कह गए बिच राह, छोड़ अंगुलियां घुमने की । कंधा वह न मिला, मिली ममता से भरी प्यार । हर पल सवारी मुझको, अंगुली पकड़ कर चलना सिखाई, हर राह की पहचान करने, स्नेह की राह दिखाई मुझको। हर वह जरुरत को दिल से लगाई , दुनिया मेरी मुठ्ठी मे यह बात बताई मुझको। नेक वह रास्ता, नेक बनने की, हर पल सिखाती, दुनिया में प्रकाश देना सबको। न मिला कंधा, मिली वह स्वर्ग सी प्यार। दुख की नाव में बैठ कमल मे पाला मुझको। नमन है मेरी माँ को, जिसने काबिल बनाया मुझको । ----सूरज पंडित