Sudha Chaudhary 13 Jul 2023 कविताएँ अन्य 8096 0 Hindi :: हिंदी
हजारों दीप जल जाए तुम बस मुस्कुराना। निगाहें मेरी थम जाए तुम बस मुस्कुराना। दर्द जब भी बढ़े कि सीना चीर जाए हौसला उससे मिलने का कभी ना टूट पाए कोई जब साथ ना आए तुम बस मुस्कुराना। चांद में दाग है तो क्या तुम्हारा मन क्यों म्लान है आसमान छू कर देखो कितनी घनी शाम है विवादों से घिरा यह नाम हो जाए तुम बस मुस्कुराना। कठिन सी बात हो परिस्थिति शूल बन जाए अंधेरा चीर ना पाओ उजाला पास ना आए बिना महफिल के रहना आम हो जाए तुम बस मुस्कुराना। सुधा चौधरी बस्ती