कुमार किशन कीर्ति 29 May 2023 कविताएँ दुःखद तन्हाई, सागर किनारे,वादियां 5893 0 Hindi :: हिंदी
जीवन में बहुत कुछ खोया, पर तुम्हें खोकर भी तुम्हें भूल ना सका। जब कभी सागर किनारे मैं टहलता हूँ, तब ढ़लते सूरज को देखकर तुम्हें याद करता हूँ। ये हसीं वादियां और उस पर तन्हाई का आलम,काश!तुम होती तो कैसा होता? कभी-कभी मैं इन चहकते पंछियों,खिलती कलियों और मस्तमौला झरनों से पूछता हूँ...। मेरी हसीं नाजिनी प्रेयसी को क्या इन्होंने देखा है?पर,कोई जवाब ना पाकर मैं खामोश हो जाता हूँ। मगर,तुम्हारे बिना वक्त नहीं गुजरता है। सावन की बरसात हो या,बसन्त की खूबसूरती।मुझे तो तुम ही याद आती हो।