Vipin Bansal 19 May 2023 कविताएँ समाजिक 7952 0 Hindi :: हिंदी
कविता = ( केरल कहानी ) वेद शास्त्र जो हमें मिले ! हमने उनको कहाँ पढ़ा !! ये दौलत जो हमें मिली ! हमने उसको दिया लुटा !! शिक्षित होकर भी अशिक्षित ! हमें अभी ये कहाँ पता !! वेद शास्त्र आज पूछ रहे ! हमसे हुई क्या ख़ता !! अपने ही घर में ग़ैर हुए ! किस जुर्म की हमें मिली सज़ा !! वेद शास्त्र जो हमें मिले ! हमने उनको कहाँ पढ़ा !! शुद्ध हिंदी में भी पिछड़ गए ! मातृभाषा की देख दशा !! अपने ही घर में अंग्रेज़ी ! आज हो गई देख खुदा !! मुगलों का इतिहास पढ़ाया ! डाकूओं को खुदा बताया !! आज़ादी के जो थे नायक ! हमसे गया उन्हें छिपाया !! धर्मग्रंथों से दूर किया ! बताओ ये किसकी रज़ा !! वेद शास्त्र जो हमें मिले ! हमने उनको कहाँ पढ़ा !! कैसे नर्क हुई ज़िंदगानी ! आँखों में भर आए पानी !! केरल कहानी कलम ज़ुबानी ! अज्ञानता की वो निशानी !! धर्मग्रंथ से बिटिया दूर हुई ! कैसे ज़िंदगी दोज़ख हुई !! माँ बाप से भी भूल हुई ! बिटिया से तभी चूक हुई !! धर्मग्रंथ गर होता पढ़ा ! फिर न आती ऐसी ख़िज़ाँ !! वेद शास्त्र जो हमें मिले ! हमने उनको कहाँ पढ़ा !! जन्नत को जहन्नुम बनाएं ! जन्नत के ही ख़्वाब दिखाएं !! जिन्दो को बर्बाद करें ! मुर्दों को आबाद करें !! मुर्दों की बस्ती में ! मुर्दों पर यह राज करें !! जन्नत के यह देखें स्वप्न ! नसीब न हो इन्हें कफ़न !! अब रूख़सत हो ये ख़िज़ाँ ! फिर से आए वो ही फ़िज़ा !! वेद शास्त्र जो हमें मिले ! हमने उनको कहाँ पढ़ा !! विपिन बंसल