Baba ji dikoli 30 Mar 2023 कविताएँ बाल-साहित्य कहानी/कविता/आलेख/शीर्षक/उत्कृष्ठ/भक्ति/शायरी/गजल/नगमा/ 9224 0 Hindi :: हिंदी
विध्यार्थी जीवन की सत्यता आज बताते है । पढाई के लिए हम घर छोड़ जाते है । कल जो नखरे दिखलाते थे वो आज चुप रह जाते है । खाते ते जो कल माँ के हाथ का स्वादिष्ठ भोजन , बो आज जली रोटियों को स्वादिस्ट बताते है। सुबह जगाने पर नखरे दिखाने बाले बालक, आज समय से पहले जाग जाते है । सभी को हँसाने बाले ,आज गीला आटा देख मुश्कुराते है । तुम खाते होंगे त्योहारों पर मिठाईया ,हम भूखे पेट सो जाते है। कभी जो झगड़ते थे मखबली विस्तर के लिए, बो आज चटाई पर सो जाते है। बहुत संघषों के बाद हम विध्यार्थी सफलता पाते है। माँ बाप की सपनो की खातिर हम कुछ भी कर जाते है। हम ही है जो आदर्श समाज बनाते है। इस देश को बिना-पढ़े लिखे प्रितिनिधि चलाते है। हम नौकरियों के लिए भटकते रह जाते है। @BaBa ji dikoli