बी.पी.शर्मा 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत बचपन की यादें 9818 0 Hindi :: हिंदी
वो अल्हड़ नटखट भी क्या जीवन था हां भरी दुपहरी सावन था अंबर का वैभव कदमों में हां उस पार जमाना अपना था उमंगे तन भावों में पलटी थी हां गोधूलि सरगम सांझ थी सपन सुनहरा आलम था पर बचपन एक परिंदा था बहारों में कोयल की कूॅं कूँ थी हां कृष्ण के मुरली की ताने थी पलती थी यादों में,यौवन की आहे भर-भर पग पगलिया हां भरती थी पल-पल प्रीत सुहानी थी हां हंसी और ठिठोली थी मात-पिता घर उसमें खुशियां हां अपना भी चितराम बणियोड़ा ऐसा था मृदुल-मृदुल उछल जल तरंगे हां आभा में क्रीड़ा करती थी गागर का घट सागर था पर ममता का दो आखर था उड़-उड़ मन चंदा से मिलता पर तूं कोमल मन शहलाती थी बजती थी पैरों में रिमझिम पायल पर श्वास-श्वास तब अपनी थी कुसुम लता फूलों की क्यारी पर हां स्नेह प्रीत सुहानी थी दादी-नानी के आंचल को छूता वाह,वाह बद्री वो भी क्या बचपन था रचनाकार-B.P.Sharma नोखा बीकानेर