भावना उपाध्याय 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य #satyta #google #साहित्य #मन की बात # ज़िंदगी #thought 13114 0 Hindi :: हिंदी
दुख दिया तो सुख भी दिया, जिंदगी तुझसे शिकायत कैसी। मन मेरा खाली दर्पण था , अच्छा दिया बुरा दिया दर्पण तूने भर दिया तो जिंदगी तुझसे शिकायत कैसी। बचपन में बोलना सीखा, फिर चलना सिखलाया तूने दौड़ भाग भरे थे दिन और रात सारे, मन बहलाना सिखलाया तूने। चारो ओर जब अंधेरा छाया, प्रेम का रंग दिया मुझे तेरी दी हुई खुशियां ही तो दुख झेलने की ताकत देते हैं मुझे। कभी-कभी मन हुआ मेरा कि अब तेरे साथ ना चला जाता मुझसे , सबने छोड़ दिया साथ मेरा , आफत का पहाड़ टूटा मुझपे। चलो अच्छा है वह वक्त भी चला गया , और टूट गया ये वहम मेरा, अच्छा वक्त भी आता है ये बात भी बतलाई तूने।। सब कुछ दिया तूने मुझको । बस में ही ना समझ पाई।। प्रकाश की किरण दिखाई है तूने। ऐ जिंदगी तूझसे शिकायत कैसी।। भावना उपाध्याय (स्वरचित)