Ranjana sharma 06 Dec 2023 कविताएँ दुःखद भीड़ में भी तन्हाई#Google# 12016 0 Hindi :: हिंदी
भीड़ में भी तन्हाई का अहसास होता है अपनों के बीच भी परायों सा महसूस होता है और क्यों ना हो जब अपने ही मुंह फेर कर बैठा हो अजनबी शहर में अजनबी ही रह गए अपनों को तलाशते तलाशते खुद को ही भूल गए अब तो दिन भी काली रात सी लगने लगी जिसको जितना करीब सोचते थें वो उतना ही दूर हो गए जवाब ढूंढे निकले थें और सवाल बनकर रह गए अजीब दास्तां है जिंदगी की क्या थें , और क्या होकर रह गए मांगी थी थोड़ी सी मोहब्बत पर आंसू पीकर रह गए हालात भी कब कैसे करवट लेती है इंसान को अपने आगे मजबूर बना देती है जो कभी ख्वाब में सोचा भी ना हो वो सब करा देती है ज़िन्दगी का कर्ता धर्ता हमारी डोरी कब किसके आगे खींच देती है हमें खबर भी ना होती जब तक होती है तब तक बहुत देर हो जाती है पता नहीं रब को मंजूर क्या होती है हमारे तकदीर में वो लिखी क्या होती है धन्यवाद🙏💔 भीड़ में भी तन्हाई का अहसास होता है अपनों के बीच भी परायों सा महसूस होता है और क्यों ना हो जब अपने ही मुंह फेर कर बैठा हो अजनबी शहर में अजनबी ही रह गए अपनों को तलाशते तलाशते खुद को ही भूल गए अब तो दिन भी काली रात सी लगने लगी जिसको जितना करीब सोचते थें वो उतना ही दूर हो गए जवाब ढूंढे निकले थें और सवाल बनकर रह गए अजीब दास्तां है जिंदगी की क्या थें , और क्या होकर रह गए मांगी थी थोड़ी सी मोहब्बत पर आंसू पीकर रह गए हालात भी कब कैसे करवट लेती है इंसान को अपने आगे मजबूर बना देती है जो कभी ख्वाब में सोचा भी ना हो वो सब करा देती है ज़िन्दगी का कर्ता धर्ता हमारी डोरी कब किसके आगे खींच देती है हमें खबर भी ना होती जब तक होती है तब तक बहुत देर हो जाती है पता नहीं रब को मंजूर क्या होती है हमारे तकदीर में वो लिखी क्या होती है धन्यवाद🙏💔 भीड़ में भी तन्हाई का अहसास होता है अपनों के बीच भी परायों सा महसूस होता है और क्यों ना हो जब अपने ही मुंह फेर कर बैठा हो अजनबी शहर में अजनबी ही रह गए अपनों को तलाशते तलाशते खुद को ही भूल गए अब तो दिन भी काली रात सी लगने लगी जिसको जितना करीब सोचते थें वो उतना ही दूर हो गए जवाब ढूंढे निकले थें और सवाल बनकर रह गए अजीब दास्तां है जिंदगी की क्या थें , और क्या होकर रह गए मांगी थी थोड़ी सी मोहब्बत पर आंसू पीकर रह गए हालात भी कब कैसे करवट लेती है इंसान को अपने आगे मजबूर बना देती है जो कभी ख्वाब में सोचा भी ना हो वो सब करा देती है ज़िन्दगी का कर्ता धर्ता हमारी डोरी कब किसके आगे खींच देती है हमें खबर भी ना होती जब तक होती है तब तक बहुत देर हो जाती है पता नहीं रब को मंजूर क्या होती है हमारे तकदीर में वो लिखी क्या होती है धन्यवाद🙏