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मैं जो गीरूँ कभी जीवन के सफर में-ईश्वर हमें थामलेना

संदीप कुमार सिंह 30 Nov 2023 कविताएँ धार्मिक How to published articles?How to published poem's?How to published stories?How to published paragraphs?How to download Paytm?How to download PayPal?How to download GPA?How to download Facebook?How to make Facebook Page? 3876 0 Hindi :: हिंदी

मैं  जो  गीरूँ  कभी जीवन  के  सफर में,  ईश्वर  हमें  थामलेना।
यूँ  तो  हौसला  बुलंद  है,   पर  तुम  साथ  हमेशा  ही  देना ।
मोहब्बत  का  मैं  सौदागर, और  मोहब्बत  का तलबगार  हूँ -
अपने  सामने  कोई  भी  शख्स,  बुरा  हरकत    कभी  करेना।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:-समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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