कविता पेटशाली 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 64148 0 Hindi :: हिंदी
मैं ,,जीयूं इस तरह , कि विभव में भोर हो जाए, मैं,, जीयूं इस तरह ,की कविता हर ओर हो जाए, देश ,लिखने वाले द्वेश नहीं लिखा करते, मिट्टी में भी सुगन्ध लिया करते हैं, तब कहीं पूरी होती है ,एक सौंगन्ध ,। घिरे जब आसमां घन ~घोर, तब कहीं सुर्य फैलाए ,अपना प्रकाश तेज, तब ,कहीं, संतुष्ट वातावरण में ,कविता हर ओर हो जाए,। मैं जीयूं इस तरह, कि विभव में भोर हो जाए,।। कविता पेटशाली ।।❤️💛💛💚💚💕💜🖋️📒💞💝💓🌸
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