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कविता-तुम्हारे प्रेम में क्या है जो हमने चाह की

Sudha Chaudhary 28 Jul 2023 कविताएँ अन्य 11566 0 Hindi :: हिंदी

तुम्हारे प्रेम में क्या है
जो हमने चाह की।
संवेदना से तुम्हें पहचान कर
तुम्हारे साथ के फिर चाह की।
आस में डूबे हुए नयन बिंदु
किस लिए अपनी क्षुधा में प्यास ली।
हाय निष्ठुरता ने फिर क्यों कथाएं मोड़ दी
मिल  रही थी रजनी चंद्रमा ने छीन ली।

सुधा चौधरी
बस्ती

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