कुमार किशन कीर्ति 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद हरियाली, बूढ़ा,अकेला,जीवन 12509 0 Hindi :: हिंदी
कई वर्षों से देखा चला आ रहा हूँ उस पुराने बूढ़े वृक्ष को। कभी उस पर भी हरियाली थी। बैठे रहते थे उस पर बंदरों का समूह, गाते थे उसपर पंछियों का समूह। उसकी छावं में ना जाने कितने पथिक सुस्ताने के लिए आते थे। मगर,आज वह बूढ़ा वृक्ष अकेला है, मायूस और कमजोर है। मगर,यही जिंदगी की सच्चाई है। जब जीवन की अंतिम क्षण में सभी साथ छोड़ देते है. ... तन्हा जीवन जीने के लिए।