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चलो चले

Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ राजनितिक चलो चले 6265 0 Hindi :: हिंदी

चलो चले 
कदम से कदम मिला के 
चलो चले 
देश के दुश्मनो को गले लगा के 
षड्यंत्र करते 
चलो चले 
अपने संगी साथिओं के संग 
कुछ उत्पातियों को लेके  
ख़ुशी के गीत गाते 
चलो चले
धूमियाँ रमाते कुरीतियां फैलाते 
सफर है नया नया 
कुछ सखियाँ भी मिल जाएंगे 
कुछ गलतियां छुप जायेंगे 
चलो चले  
ये देश हैं हमारा 
हम हैं इश्के रखवाले 
चाहे जिसे आबाद करे 
या करे बर्बाद 
गाँधी ने हम को दिया हैं 
तुम चाहे समझो दान 
चलो चले 
हमे किसी से क्या लेना 
क्या कुछ होता है समाज भी 
गरीब रूपी कीड़ा को 
बे मौत ही मर जाने दो 
चलो चले 
कुछ और हो न हो 
देश बदले या न बदले 
हमरा भविष्य तो बदल जायेंगे 
चलो चले 
निबला छिनता हैं तो 
थोड़ा और छीन जाने दो 
कुछ मरते हैं तो मर जाने दो 
शहीदों को कुछ और 
फ़ना हो जाने दो 
चूड़ियां टूटते हैं टूट जाने दो 
मांग उजड़ता हैं उजाड़ जाने दो 

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