Baba ji dikoli 29 Apr 2023 कविताएँ समाजिक Shayri /kaveeta /alekh /nibandh /gajal 8321 0 Hindi :: हिंदी
बुरा वक्त है मुर्शद ,बुरा बक्त ही तो है चला जायेगा। और जो भगा रहे है आज हमें दुथकार कर , कल बो भी गिड़गिडायगे। बो मेरा भी खुदा है। यारा.. कभी न कभी मुझ पर भी तरास खायेगा। और जब ये टूटा हुआ शक्श फिर खड़ा होकर आएगा कसम से साहब मंजर का मजा ही कुछ और आएगा। था ये भी बहुत गुरुर में टूट कर संभल गया यारो..... बुरा बक्त भी जरूरी था कम से कम अपनों का पता तो चला यारो..... @Baba ji dikoli