Shakuntala Sharma 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक # रिश्तों की बुनियाद# बे नाम रिश्ते# स्वार्थ पर नही बनते# 22054 0 Hindi :: हिंदी
जो निस्वार्थ भाव से चाहे किसी को । उस रिश्ते में पैसों का कोई दाम नही होता ॥ कुछ लोग अपने उसूल ही बदलते रहते । रिश्तों में छल बल का काम नही होता ॥ लोभ लालच को रखो परे दो दिलो से रिश्तों पर स्वार्थ का लिबास नही होता ॥ उम्रभर साथ देने वाले बडी मुश्किल से मिलते हैं दर्द में जो छोड़ दे रिश्ता वह काश नही होता ॥ कुछ रिश्ते दिलो की गहराई में उतर जाते है । ऐसे रिश्तों का कोई नाम नही होता ॥
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