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कहाँ हम तुम्हारे-अँधेर देखते हैं

संदीप कुमार सिंह 28 Nov 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत How to publish articles?What is religion?What is life?What is pollution?Today's very Nice, Yesterday is bad.Tomoro is brightly. 2356 0 Hindi :: हिंदी

कहाँ  हम  तुम्हारे, अँधेर  देखते  हैं।
हम तो तुम्हारी, इनायत  करम देखते  हैं।
हमें  नहीं  मतलब, दुनियाँ  के रंज-ओ-ग़म  से-
हम  तो  बस, अपने संकल्प को  देखते  हैं।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:-समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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