Sudha Chaudhary 30 Jun 2023 कविताएँ अन्य 8672 0 Hindi :: हिंदी
बिन मौसम बरसात, रहा तुम्हारा साथ जीने की अनुकंपा में जुड़ा रहा अध्याय बड़ी जटिलता की बेड़ी से थामा तुम्हारा हाथ शान्त और अति क्लान्त हुए तब पहना दिया भाषा का हार । मेरा सारा व्यर्थ परिश्रम तेरी उस अभिलाषा पर जितने तारे तोडूं मैं उतने बढ़ जाए आंखों में। जितना सोचूं चुप रहकर उतना पास न आये तुम। धीरे-धीरे ही करके दूर रहें बातों से तुम। रिश्ता मेरी आदत में है जो तुम से जुड़ा हुआ है पर तुमको इन्कार रहा उतार चढ़ाव के मोह पाश से । सुधा चौधरी बस्ती