Prashant Kumar 08 Apr 2023 ग़ज़ल दुःखद 5433 0 Hindi :: हिंदी
कोई फकीर फुकरा बताया गया मुझे मेरे ही घर मे पूछ के लाया गया मुझे। पहले कहा सभी ने जरा हंस दीजिए जो हंसने लगा तो रुलाया गया मुझे। हां इश्क़ का मुझे भी बड़ा शौक था मगर ये बिन दवा का रोग बताया गया मुझे। सब ने दिखाई पहले तो फूलों की सेज फिर कांटों के बिस्तरों पे सुलाया गया मुझे। घायल भी खूब था मै निशां भी न था कोई ना जाने किस तरह से गिराया गया मुझे। उनको जरा सा शक था कवर खोलकर मिरी नस्तर चला चला के दिखाया गया मुझे। जहराव से भरा था जो पैमाना जाम का हाथों से मुस्कुरा के पिलाया गया मुझे। खंजर वो हाथ में लिए मुस्काए पहले तो फिर बाद में गले से लगाया गया मुझे। प्रशांत कुमार