Trishika Srivastava 30 Mar 2023 शायरी समाजिक सच कहा था तुमने की / ज़रा महसूस तो करो / ज़रा सा वक़्त माँगा था तुमसे / एक वजह काफ़ी होती है / भटकने का समय नहीं रहा 29064 0 Hindi :: हिंदी
(1). सच कहा था तुमने कि इस जहाँ में सारे पत्थर हैं किसी को ज़ियादा अहमियत दो तो आंकते ख़ुद से कमतर हैं (2). ज़रा महसूस तो करो मेरी तन्हाई की पीर सब अपने मुझसे छीन गई मेरी बे-रहम तक़दीर (3). ज़रा सा वक़्त माँगा था तुमसे, हमने सदियाँ तो नहीं माँगी थी। तुम्हारे संग पहाड़ों पर जाना था, जन्नत की वादियाँ तो नहीं माँगी थी। (4). एक वजह काफ़ी होती है नज़रों से गिर जाने के लिए इज़्ज़तदार बनना पड़ता है औरों से इज़्ज़त पाने के लिए (5). भटकने का समय नहीं रहा अब दौलत कमाने की उम्र है क्योंकि गरीब होना भी एक बहुत बड़ा ज़ुर्म है — त्रिशिका श्रीवास्तव ‘धरा’