मोती लाल साहु 29 May 2023 शायरी समाजिक निगाहों को मिल गई निगाह, चोटें खाई फिसल कर- तूफानों में कश्ती चलती रही- चिराग जलती रही अंदर। 2387 0 Hindi :: हिंदी
निगाहों- को मिल गई निगाह, चोटें खाई फिसल कर,, तूफानों- में कश्ती चलती रही, चिराग जलती रही अंदर,, और- निगाहों को निगाह मिल गई..!! -मोती