Bholenath sharma 07 Apr 2024 कविताएँ समाजिक सबकी प्रिय 1686 0 Hindi :: हिंदी
जूझ रहे जो गम से अपने वो तेरी शरण में आते है मधुशाला कष्ट मिटा देती हो तुम जिनका उनके उर बस्ती हो तुम मधुशाला । गली - गली में धाम बसा है तेरा , मधुशाला बहुत अधिक है चाहने वाले , तुझको हाला