आदित्य मौर्य'आर्यवंशी' 16 Apr 2023 कविताएँ समाजिक 7513 0 Hindi :: हिंदी
हम कौन थे..... कहां पर रहे हैं कहा जा रहे हम। पश्चात सभ्यता में पलते जा रहे हम।। यहीं के जगत गुरु थे सारे जहां के । वेदों की ज्ञान गंगा बहती थी जहां पे।। अहिंसा के पुजारी थे आज हिंसक बन गए हम। कहां पर रहे हम कहां जा रहे हम।। दही- दूध नदी बहती थी अमृत की धारा। सोने की चिड़िया कहा जाता था देश हमारा।। देश है स्वतंत्र पर कैसी ये आज़ादी। देश- जाति , धर्म की हो रही बर्बादी।। टुकड़ों में टुकड़े-टुकड़े बाटते जा रहे हम। कहां पर रहे हम कहां जा रहे हम।। कैसी थी संस्कृति और सभ्यता हमारी । शाकाहारी खान पान ना कोई मांसाहारी।। आज गलत खान-पान में पड़ते जा रहे हम। कहां पर रहे हम कहां जा रहे हम।। काव्य -आदित्य मौर्य 'आर्यवंशी'
I am the student of class 10th Amrit Public School situated in Mau District ,Uttar Pradesh 275101...