Ujjwal Kumar 18 Jun 2023 कविताएँ समाजिक पिता के जैसा बनना है तो तपती धूप में चलना होगा, 6562 0 Hindi :: हिंदी
मुझे अब नींद की तलाश नहीं अब रातों को जागना अच्छा लगता है। मुझे नहीं मालूम कि तुम मेरी किस्मत में हो या नहीं मगर हर दुआ में तुम्हे मांगना अच्छा लगता है। जानें मुझे हक है या नहीं तुम्हारी फिक्र करनें की पर खुद से ज्याद तुम्हारी परवाह करना अच्छा लगता है। तुम्हें चाहना सही है या नहीं ये मन को नहीं मालूम पर इस एहसास को जीना अच्छा लगता है। जानें कभी हम साथ होंगे या नहीं पर ये ख्वाब देखना अच्छा लगता है। हम तुम्हारे कुछ है या नहीं नहीं खबर पर तुम्हे अपना कहना अच्छा लगता है। आंखो को बहलाया बहुत कमब्खत मानती ही नही इन्हें भी तुम्हारे लिये जागना अच्छा लगता है। 🖊युवा रचनाकार ✍उज्जवल कुमार