Preksha Tripathi 28 Jun 2023 कविताएँ धार्मिक 6568 1 5 Hindi :: हिंदी
अतिशय कोविद् श्रेष्ठ प्रवर। चरणों में अर्पण इंदीवर।। करती मैं वंदन सतत् सतत्।। यशशील रहे एकल अविरत।। हो भाव विभाव प्रभाव सदा। कलील न हो अनुभाव कदा।। जग ईक्षण में जय ईश मिले। प्रभु के जन को आशीष मिले।। प्रेक्षा त्रिपाठी
9 months ago