SEWANAND 17 Aug 2023 कविताएँ अन्य टीचर 6978 0 Hindi :: हिंदी
मैं हूँ एक टीचर मेरी नजर रहती है हर बच्चे पर, मैं पढ़ाता कभी व्यंजन तो कभी स्वर, किताबों में उलझा रहता हूं अक्सर, कभी कक्षा १ तो कभी कक्षा ५ के भीतर, क्योंकि मैं हूँ एक टीचर । लगा रहता हूँ मैं दिनभर फिर भी शिकन नहीं हैं माथे पर, चाहे बच्चे ना पढ़ें घर पर, फिर भी सारा दोष लगता मुझ पर, क्योंकि मैं हूँ एक टीचर । मेरे ऊपर है बच्चों का फ्यूचर, मैं ही बनाऊँगा भारत को विश्व गुरू एक बार फिर, मैं ही करूँगा भारत को संसार के शिखर पर, मैं ही सिखाता बच्चों को भारतीय कल्चर, क्योंकि मैं हूँ एक टीचर । भावी समाज की नींव टिकी है मुझ पर, साँझ ढले नसीब होता है मुझको घर, समाज की हजारों जिम्मेदारियाँ हैं मुझ पर, फिर भी हार नहीं मानता मैं घबराकर, क्योंकि मैं हूँ एक टीचर । लेखक:- सेवानंद चौहान राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षक