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अनिल कुमार केसरी

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My Articles

क्या राम बना कोई ? राम को तुमने सजाया मंदिरों में, राम को तुमने किताबों में लिखा। पात्र सारे जीवित रहे, टेलीविजन के चित्रपट पर, पढ़ा ग� read more >>
घर का ज़िम्मेदार घर का ज़िम्मेदार बने रहना, सबकी ज़िम्मेदारी में खड़े रहना, भगवान कसम...! बहुत, बहुत ज़िम्मेदारी का काम है। परिवार के read more >>
रोती छत-सिसकता फर्श उस घर की टपकती छत ने, घर के फर्श से कहा होगा- कि माफ़ करना, हालत अभी बुरी है। घर के गीले फर्श ने, हँसते हूए कह दिया हो read more >>
भूख में गरीबी सिर छिपाने को छत नहीं, पेटभर खाने को निवाला कहाँ ? सर्दी भी आ गई सताने, सूरज ठंड़ से क्यों घबरा रहा ? किटकिटा रहे दाँत, गर� read more >>
गरीबी का दानव, सुना है... गरीबी का दानव, बड़ा बेरहम, खूनी, खतरनाक कातिल है; बेहद बेरहमी से, टुकड़ा-टुकड़ा, धीरे-धीरे, बड़े स्वाद से, वह ख� read more >>
कहो! उर्मिला... कहो! उर्मिला... महलों का वैभव, कितना दारुण दुःख तुमको देता रहा? विरहा की अग्नि, कितना तुमको महलों में जलाती रही? कहो! उर्� read more >>
कहो! उर्मिला... कहो! उर्मिला... महलों का वैभव, कितना दारुण दुःख तुमको देता रहा? विरहा की अग्नि, कितना तुमको महलों में जलाती रही? कहो! उर्� read more >>
दहेज की आग एक रसोई से धुआँ उठा, आग लगी, लपटे बाहर निकली, शोर में कुछ चीखें चिल्लाती, भीड़ में लोगों की कानों आयी, बचाओ-बचाओ, कोई बचाओ, आग read more >>
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