अनिल कुमार केसरी 12 May 2023 कविताएँ समाजिक पारिवारिक उत्तरदायित्व पर कविता 7018 0 Hindi :: हिंदी
घर का ज़िम्मेदार घर का ज़िम्मेदार बने रहना, सबकी ज़िम्मेदारी में खड़े रहना, भगवान कसम...! बहुत, बहुत ज़िम्मेदारी का काम है। परिवार के सारे रिश्तों को, मोतियों की एक माला जैसे, एक धागे में पिरोना, बेशक, घर के जिम्मेदार का काम है। सुबह-शाम, हर दिन, घर का चूल्हा सुलगाना, भूख में रोटी, धूप में छाँव बन जाना, वाकय, घर की ज़िम्मेदारी का काम है। किसी माँ की ममता, किसी बहिन का प्यार, और बाप के कंधों का उधार, अपने कंधों पर उठाना, सचमुच, घर के जिम्मेदार का काम है। घर का ज़िम्मेदार बने रहना, सबकी ज़िम्मेदारी में खड़े रहना, भगवान कसम...! बहुत, बहुत ज़िम्मेदारी का काम है।