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मोती लाल साहु

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My Articles

अजनबी तुझसे ये ज़िंदगी, मिली है जब से ये ज़िंदगी, कौन हूं मैं क्या है ये ज़िंदगी... ख़ुद से ही हूं मैं-ए-अजनबी।। -मोती read more >>
ये ज़िंदगी गुज़ारने की- ना ये मनमर्जी की चाल है, ये ज़िंदगी तोहफा है- ख़ुदा से मिलन का ठिकाना है, ये ज़िंदगी चंद लम्हों का- अनंत से मिल read more >>
"लोग देते हैं प्यार मुझे, लोग कहते हैं यार मुझे, जब तक ए-मिट्टी में सांस है,, देखो ए-रिश्ते हज़ार हैं।।।। -मोती read more >>
यक़ीनन- यह ज़िंदगी सिर्फ़, दुख-सुख का सफ़र नहीं है यह ज़िंदगी- तो नाम-ए-नूर, तक का सफ़र है - जनाब -मोती read more >>
ये आती- तन से ख़ुशबू तुम्हारी, बसे दिल- में आती याद तुम्हारी, तुझसे- नाता है मेरे रब न्यारी-न्यारी,, जब तक- तन में तू ए-यार हूं सबका....।। read more >>
पंछी को है पर- उड़ती सिर्फ़ ए-आसमान तक, ज्ञान का पर जहां- उड़ता ए-अखंड ब्रह्मांड तक, दरबार-ए-रब तक- पहुंच है स्वरूप ज्ञानी को-जनाब,, अतए read more >>
संत कहते- तेरा नाम उल्टा, वाणी में आता नहीं तू रहे- अनुभव में, भाषा में कहीं तेरा नाम नहीं स्वर-व्यंजन- में आता नहीं तू , कल्पना से है read more >>
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