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Preeti singh

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My Articles

अस आशीष दीजो प्रभु मेरे सदा गुण गाऊं मै तेरे मैं तुझमें ऐसे समा जाऊं प्राणो में सांस हो जैसे भूलकर कोई भूल ना हो बन जाओ मार्गदर्शक मे read more >>
मां कहती थी तो सब सच लगता पता नहीं था मां को ऐसा क्यों लगता तेरे ही भरोसे छोड़ आए आंगन अपना मां कहती थी सब होगा अपने घर जैसा क्यों मां तुझ read more >>
मां की दुआओं जैसा बसंती हवाओं जैसा सागर की ठंडी लहरों जैसा सूरज की किरणों जैसा बारिश की बूंदों जैसा ले आओ सब कुछ जो कुछ हुआ ऐसा सिमट जाए read more >>
जज्बातों में उलझी जिंदगी की कहानी कभी हंसती तो कभी रोती जिंदगानी कर अपनी मुस्कुराहट पर भरोसा हंसती हुई लगे रोती जिंदगानी जज्बातों read more >>
ये जिंदगी के नाव बही जा रही हैं नहीं है कोई किनारा पर बही जा रही है दूर है कोई लकीर शायद मगर हो कोई किनारा शायद उसी के सहारे जिंदगी कटी ज read more >>
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