ऐ- चांद तू सोच कितना खुशनशीब है,
आसमां में रहकर भी धरा के करीब है,
मैं लिख रहा हूँ मेरे कल्पित विचार मेरी लेखनी से,
तुझ से ही करवाचौथ, तुझ read more >>
कोई फिर से मेरा बचपन दिला दो,
वो कपड़े की गेंद, लाठी का बेट,
छोटी से मैदान में, टीमें हो जाती सेट,
वो भरपूर मजा क्रिकेट का दिला दो,
कोई फिर स read more >>
मत दिखा मुझे ये तेरी शोहरत के पन्ने,
उन्ही पन्नो की किताब हूँ मैं,
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तू सूंघ रही है जिन महुआ के फूलो को,
उन्ही से बनी शराब हूँ मैं,
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और तुझ read more >>