Rahul verma 30 Mar 2023 कविताएँ बाल-साहित्य कोई फिर से मेरा बचपन दिला दो 14986 0 Hindi :: हिंदी
कोई फिर से मेरा बचपन दिला दो, वो कपड़े की गेंद, लाठी का बेट, छोटी से मैदान में, टीमें हो जाती सेट, वो भरपूर मजा क्रिकेट का दिला दो, कोई फिर से मेरा बचपन दिला दो। . वो कंकरीली रोड़, उस पर टायरों की दौड़, कुछ यारो का प्यार, कुछ यारो की मरोड़, वो फ़टे हुए कपड़े हाथ की सुई से सिला दो, कोई फिर से मेरा बचपन दिला दो। . वो झाड़ियों के बोर, बिना किसी शोर, लाठी पत्थर मारते, लगाकर पूरा जोर, वो सुआ के काटे हुए, मीठे बोर खिला दो, कोई फिर से मेरा बचपन दिला दो। . वो सोटा दड़ी का खेल, वो छुक-छुक करती रेल, कौआ उड़ तितली उड़ में हम उड़ाते थे बेल, और वो कांच की गोलियां, उधार में दिला दो, कोई फिर से मेरा बचपन दिला दो। . वो बकरियां चराना, उनको नाम से बुलाना, वो सब्जी की थैली से बनी पतंगे उड़ाना, और वो छुट्टी वाला यार, फिर से मिला दो, कोई फिर से मेरा बचपन दिला दो। . वो माचिस वाली तास, जिनमे ताजमहल थी खास, वो माचिस को खाली करके, नई नई रखते पास, वो माँ की डरावनी डांट फिर से दिला दो, कोई फिर से मेरा बचपन दिला दो। ~NEER STAR ( राहुलवर्मा)