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Samir Lande

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असतो हाताचा फोड , तो काचेचा भांडा नाजुक हातानी हाताळाव लागत , मुलीनच आयुष्य असच असत. सोन्याचा दागिना तो मोलाचा खडा, सांभाळल नाही तर चो read more >>
घीले बिस्तर आँखो के पाणी से, पत्ते गीरते है पेडो की डाली से! इब नजरिया किसीका क्या हो, पत्ते गिरते है हवासे आँसू नहीं! कवी - समीर लांडे read more >>
असावी सात एका भावाची , बहिणीची रात एक विसाव्याची. असावी जान बहीण असते आई जणू भावाची, भावाची सात देणार सावली तो बापाची. कवी - समीर लांडे read more >>
हरवल काही जे मिळत नाही, स्वप्नांची वाट दिसत नाही. होय बरं चाललंय पण खर काय, दुसऱ्यांच्या वाटेवर जणू नग्न पाय . आपल कुणी दिसत नाही, हरवल read more >>
लाखों की भीड़ में आंखों की बात, किसे समझ आती है। मिले किसी का हाथ, तो यह जिंदगी यूं ही कट जाती है। कवी - समीर लांडे read more >>
किसी बेहतर की तलाश तुझे, ले डूबे गी फराज तुझे। आईने में देख जरा, कहते हो रकीब किसे। लेखक - समीर लांडे read more >>
मैं शाख से गिरा पत्ता हूं, फटा किताब का पन्ना हूं। उस सुखी नदी का कंकड़ में, किस काम का में लड़का हूं। कवी - समीर लांडे read more >>
में पीस रहा हूं जैसे मसाला कोई, मसला ये है की पीसने वाला है अपना कोई। कवी - समीर लांडे read more >>
मैं किसिका खास नहीं, ना समझे मेरा एहसास कोई। सुबह की ओस सा मैं हूं सही, तुझे देखा तो जाना मैंने हर कोई कोसने वाला नहीं। तू है कोई जो समझ read more >>
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