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संदीप कुमार सिंह

संदीप कुमार सिंह

संदीप कुमार सिंह

@ sandeep-kumar-singh
, Bihar

I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me.

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(दोहा छंद) कागा मोती चुग रहे,साँप बना है दोस्त। समय समय का फेर है,खाते सब हैं गोस्त।। कागा मोती चुग रहे,मैना खाए दाल। चले जमाना भूल में, read more >>
(दोहा छंद) कागा मोती चुग रहे,साँप बना है दोस्त। समय समय का फेर है,खाते सब हैं गोस्त।। कागा मोती चुग रहे,मैना खाए दाल। चले जमाना भूल में, read more >>
(दोहा छंद) कितने महँगे हो गए,जग में सभी समान। पढ़े लिखे कम अब यहां,रखते सभी कमान।। कितने महँगे हो गए,आज सत्य का बोल। लगे हुए जन झूठ में, read more >>
(मुक्तक छंद) शब्द चढ़ाने मैं आया हूं। दिल कि बात कहने आया हूं। अपना बना ले तूं रब आज_ खाली झोली लिए आया हूं। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमा read more >>
(दोहा छंद) मौसम आया है जवाँ,मन की आँखें खोल। तुम भी बन जा अब जवाँ,हद में रहकर बोल।। होता हृदय उदास जब,पी लें हम मधु घोल। मधुर मधुर फिर सृ read more >>

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