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संदीप कुमार सिंह

संदीप कुमार सिंह

संदीप कुमार सिंह

@ sandeep-kumar-singh
, Bihar

I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me.

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शब्दों में तुझको उतारा, हुआ प्रेम जब मेरा विह्वल। मालाओं में तुझको पिरोया, तेरी एक निर्णय ने, मेरा सब कुछ छीना। पड़ी गांठ जब दिल पर मे read more >>
दर्द सहने की आदत, कुछ इस तरह हो गई। सुबह का दर्द शाम तक, पुरानी हो गई। क्या तोड़ोगे टूट कर, निखरने वालों को। आग की तपिश भी, अब शीतल लगने read more >>
इस मसले का हल कहाॅं से लाएं? जो नहीं तकदीर में उसे किससे लिखवाएं? बंधे रह जाते हैं मन्नतों के धागे, धागों में बंधने की तकदीर किससे पाएं? read more >>
जब भी हुआ,तुम हर एक मोड़ पर साथ रहे। मुश्किल भरी राहों में तुम सदा मुझसे आगे रहे। तुमने बनाई मेरे दिल में जगह, यही है सच्चाई। थोड़ा सा प read more >>
मुक्तक ऐसे मत लगा इल्ज़ाम किसी निर्दोष पर। अगर आ गया जिस दिन वह रोष पर। जिन्दगी से तुझे मुक्त कर देगा निर्दोष वह- वचन देता ह read more >>

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