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Uday singh kushwah

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My Articles

अक्सर मैं दु:खी हो जाती हूँ , जब किसी दूसरी औरत को, देखकर तुम्हारी आंखें विस्तृत, हो जाया करतीं हैं तब....! या फिर मेरी पीठ पर गढ़तीं हैं , read more >>
कुछ देर बैठ साथ ... आओ कुछ देर बैठ समय साथ बितायेंगे ख़ामोश बैठ कुछ दिल की बतियागें एक नयी दुनियां में खुद को पायेंगे करेगें बातें चांद read more >>
मन के द्वार एक दीप धंरु मैं! हृदय के तम को दूर करुं मैं!! हो उजियारा चहूं ओर, तन को सरावोर करुं मैं! अटरिया के कमूरे पर दीप धरुं में आस वि read more >>
ऐसा मेरा गांव रे! कहीं पसरे -पनघट पर मेले कहीं आम की छांव रे! कहीं चौपाल पर वैठे, बतियाते गांव रे! कहीं धमा चौकडी़ कहीं धूम धधड़का ! कहीं read more >>
तुम सा मुकम्मल जहां मिला होता...! जिन्दगी खुशनुमार हो गयी होती! यू्.एस.बरी read more >>
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