Uday singh kushwah 25 Apr 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत गूगल,याहू,बिंग 7885 6 5 Hindi :: हिंदी
पता नहीं तेरे दिल पर क्या लिखा था हम पढ़ ना सकें तेरे जहन में क्या चल रहा था हम उतर ना सकें तू थी और तेरा दीवाना पन हम समझ ना पाए कितनी उदासियों घेर रखा था तुझे यह हम जान ना पाए तूने भी हम को उतरने ना दिया अपने दिल में झटक कर बाहर किया सहन में हम तन्हा थे तन्हा रहेगें न हमने उदासियों से इश्क लडा़ लिया है हर रोज उन से ही जुस्तजु हुआ करती है दुनिया में रख्खा क्या झूठ फरेव और धोका फिर क्यों उन रंग रेलियों में जाए सब कुछ देकर फिर तन्हा क्यों हो जाए जरुरतें आगाज करतीं हैं पर तुझसे बडी़ जरुरत कोई नही थी मेरी या तो तू समझ ना पायी या मैं समझा ही नहीं पाया यह हुनर मुझे आज तक नहीं आया रो लेता हूँ वफक लेता हूँ आंसुओं को कमीज से पोंछ लेता हूँ जिंदगी की हकीकत सुलझाने में लगा हूँ मैं अपने आप को तुझमें उलझाने में लगा हूं खैरियत से हूं जिंदा हूँ पर पल पल मर रहा हूँ तेरी यादों के सहारे समय काट रहा हूँ अब मेरे पास बचा ही क्या है , मैं सब कुछ तेरे ही नाम कर चुका हूँ यह जिंदगी है इसे फिर से पढ़ने की कोशिश कर रहा हूँ मैं अब खुद से ही लड़ने की कोशिश में लगा हूं हौंसले कब के बिखर गये मेरे कवि यू.एस.बरी ग्वालियर मध्य प्रदेश
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