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कहते हैं आग सबकुछ जला देती है कुछ पुरानी तमंन्नाएँ हैं मेरे पास read more >>
कास कोई मेरे सपनों में भी आती और अपने रूप यौवन से तरसाती। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:-समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार read more >>
दुनियाँ में तो ग़मों का महासागर है, पर हम भी तो हर गुण से आगर है। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:-समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार read more >>
कयामत की तुम बेमिसाल सूरत हो, आब की तुम अद्वितीय मूरत हो। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:- समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार read more >>
प्यार की तुम जीती - जागती देवी हो हृदय की तुम जैसे सूरज की किरण हो । (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:-समस्तीपुर(देवड़ा)बिहा read more >>
तूँ हुस्न के रंगों से लिखी हुई ग़ज़ल है, प्यार के दरिया में खिलता हुआ कमल है। read more >>
वो बातों में शब्दों को कुछ ऐसे पिरोता है। कि जैसे हीरे के पानी से मोती को धोता है ।। मैं निशब्द हूँ उसके फलसफा-ए-जिंदगी को देखकर। कि read more >>
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