Mrityunjay kumar Chaudhari 30 Mar 2023 ग़ज़ल अन्य Mritunjay kumar choudhary 23850 1 2 Hindi :: हिंदी
यहां था कोहरा घना, मैं था अंधेरों से सना। तेरी जो धूप परी मुझ पे, मैं भी उजालों से बना। तेरी किरणों के फुहारों में, मन रोशनी से भींग गया। दस्तक तूने दी, मैंने करना प्यार खुद से सीख गया। बेहाल है हाल मेरे, हालत सुधारने लगी। लम्हे महकती सारी तेरी, खुशबू बिखरने लगे। तेरा किया ख्याल, तो रखने लगा, मैं खुद का ख्याल। तूने पूछा कैसे हो, तब जाना मैंने खुद का हाल। मेरी याद को तुमने दिया है, नया आकार। तुम्हारी वजह से करने लगा हूं। मैं खुद से प्यार।।
1 year ago
State Incharge (Bihar) All India media associtation...