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अपने मुंह मियां मिट्ठू

Shubham Kumar 30 Mar 2023 कहानियाँ समाजिक अपने मुंह मियां मिट्ठू 39926 0 Hindi :: हिंदी

एक लड़का था जो हमारे साथ ही, 
स्कूल में ,पढ़ता था, वह पढ़ने में होशियार था_ एक दिन वह_ निजी कुछ लालच के कारण_ मारा जाता है_ यह कहानी कुछ इसी प्रकार है, उसका नाम था सरला_   लोगों  उसे सरला ही  कहते थे, सारे स्कूल में, वह पढ़ने में सबसे आगे रहता था, मास्टर भी उन्हें प्रेम करता था, वह प्रतिदिन, स्कूल जाता था, इसलिए उन्हें पढ़ाई की_ अच्छी पकड़ थी_ बाकी कामों में भी_ वह सबसे आगे था_ उसकी मां कई दिन_ पहले से कह रही थी_ कि उसे आम का अचार बनाना है, वह अपने बेटे से_ उस दिन भी कह रही थी_ मैं भी उस समय_ वहां पर खड़ा था_ हम दोनों स्कूल की 
तरफ रवाना हुए, स्कूल में छुट्टी होने के बाद_ हम दोनों साथ-साथ_ चले आ रहे थे_ तभी उसे प्यास लगती है_ वह मुझसे कहता है_ मुझे प्यास लगी है_ चापाकल चला दो_ तो मैंने बोला_ पहले तुम मुझे चला दो_ और मैं_ पानी पीने लगा_ जब वह कल_ चलाने गया_ तो वहां पर, उसकी  पैर  फिसल जाता है_ वह गिर जाता है_ जब मैं उसे_ चापाकल चलाने लगा_ तो हमने वहां पर देखें_ कि मेरा पांव_ वहां पर नहीं फिसलता है_ मैं सोच रहा था_ आखिर यह कैसे ? गिर चुका है_ तब मेरा मन घबरा चुका_ और उससे पहले_ एक औरत कह चुकी थी_ वह उसके पेड़ पर चढ़कर_ 
आम तोड़ देगा, तो बदले में, उसे वह औरत, कुछ आम देगी, यह दोनों बातों का, संयोग होना _ मुझे कुछ_ अजीब लग रहा था_ लेकिन मैं अपने मुंह मियां मिट्ठू_ तभी तो नहीं कर सकता_ फिर भी मैंने उससे कहा
 तुम्हारा आज दिन, शायद अच्छा नहीं चल रहा, तुम इतने से, बात में कैसे, गिर पड़े हो,
 तुम्हारा आम तोड़ना_ मुझे अच्छा नहीं लगता_ यह किसी दिन और भी_ तो हो सकता है_ लेकिन उसने मुझसे कहा_ कि तुम ठीक कहते हो_ मैं पेड़ पर_ नहीं  चढूंगा_ तुम मेरे किताब लेकर" घर चले जाओ" मुझे शंका हो रही थी" पर मैं क्या करता? मैं कोई भविष्य_ बताने वाला 
तो नहीं था_ मैं उसके घर में किताबें रखकर, खेलने चला गया, कुछ ही देर बाद" खबर आती है"  वह पेड़ पर से" गिर चुका है' उसकी रीढ़ की हड्डी" पर  चोट लगी है" उसे पटना में' सरकारी अस्पताल" मैं भर्ती करवाया गया" लेकिन वह" मात्र 24 घंटे ही बचे" आखिरी क्षणों में" अपनी मां से कह रहा था" कि मुझको मेरा दोस्त" बोला था_  तुम पेड़ पर मत चढ़ना" पर मैं अपने  मन का सुनता रहा" अब शायद मैं ना रहूं" 
फिर लोग कहते हैं कि _  वह दम छोड़ने से पहले, कितने लोगों से बातें की_ उन्हें समझाया कि मुझे कुछ नहीं होने वाला" लेकिन बात तो वहीं रह गई ना" अपने मुंह मियां मिट्ठू"  नकारने से मृत्यु  नहीं  
नकारे जाते ,

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