धर्मपाल सावनेर 12 Apr 2023 ग़ज़ल दुःखद ##जिंदगी में# दर्द# और #उदासी #पर लिखी ये# गजल ## 40304 0 Hindi :: हिंदी
टूटा हु टूटे है कुछ ख्वाब मेरे साथ जिंदगी ने किए हे मजाक मेरे साथ सवालों ने घेरे रक्खा है मुझको कोई आए जो ढूंढे जवाब मेरे साथ एक में ही अकेला नहीं हू यहां मेरे गम भी बैठे है उदास मेरे साथ आबाद होने को तो त्यार है सभी कोई होता नही है बर्बाद मेरे साथ जिसपे लूटाया है खुद को भी मेने वो भी कर रहा है हिसाब मेरे साथ में रोया लिपट कर इक सूखे पेड़ से वो भी हो गया है शादाब मेरे साथ मेरा खुद पर नहीं है काबू कोई कभी धोखा करेगा इताब मेरे साथ पैमाने से जाम छलकने लगा रो रही हो जैसे शराब मेरे साथ धरम सिंग राजपूत 8109708044