आकाश अगम 30 Mar 2023 ग़ज़ल समाजिक #नारी शक्ति #नारी पर पड़ता दुख #अत्याचार #स्त्री दुख #kya khataa meri #ढाई आँखर #प्रेम #Akash agam #उपेक्षित #शक्ति #वंदना #क़द #नारी कितना दुख सहती है #लड़की की उपेक्षा 98362 0 Hindi :: हिंदी
( ग़लती चाहे किसी की भी हो, लेकिन अधिकतर समाज के व्यंग्य बाण एक लड़की को ही झेलने पड़ते हैं। एक लड़की के हृदय की कुछ बातों पर प्रकाश डालने की कोशिश करती एक ग़ज़ल। ) मुझे मिलने को आतुर हो तो इसमें क्या ख़ता मेरी मेरे क़द के बराबर हो तो इसमें क्या ख़ता मेरी।। मेरा है वास्ता बस मित्र से हो लिंग कोई भी अगर मादा नहीं नर हो तो इसमें क्या ख़ता मेरी।। मेरी आँखों में वसते तुम ज़माना देख कैसे लूँ मेरे तुम ढाई आँखर हो तो इसमें क्या ख़ता मेरी।। मिलेगी शक्ति मुझको क्या करूँ मैं वंदना कोई मेरा वर ही मेरा वर हो तो इसमें क्या ख़ता मेरी।। न रहती साथ हर पल मैं जगत की रीत पर ऐसी तेरा घर ही मेरा घर हो तो इसमें क्या ख़ता मेरी।। उपेक्षित रह रही हूँ मैं , है मेरे आग सीने में मेरे सीने पे चूनर हो तो इसमें क्या ख़ता मेरी।।