Santosh kumar koli ' अकेला' 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम नापाक़ दोस्ती 88890 0 Hindi :: हिंदी
दोस्ती उसी से, जो दोस्ती क़ाबिल हो। ऐसा दोस्त दोगला, जिससे दग़ा ही हासिल हो। कुत्ते की पूंछ को दबा, कितनी ही लगा दो बेड़ी। कुत्ता, कुत्ता ही रहेगा, पूंछ टेढ़ी की टेढ़ी। यदि सीधी हो गई, तो ख़ालिस क़ातिल हो। ऐसा दोस्त दोगला, जिससे दग़ा ही हासिल हो। अरे! सर्पों के कैसी ख़ाला। कितना ही दूध पिला दो, बने गरल का प्याला। ऐसे सर्पों साथ, तो विष ही महफिल हो। ऐसा दोस्त दोगला, जिससे दग़ा ही हासिल हो। दुष्ट के रग- रग में, दुष्टता समाती। कहने को तो भाई, मौक़ा मिलते सुना दे प्रभाती। दिल वही थामता है, जिसके सीने में दिल हो। ऐसा दोस्त दोगला, जिससे दग़ा ही हासिल हो। दोस्ती उसी से, जो दोस्ती क़ाबिल हो। ऐसा दोस्त दोगला, जिससे दग़ा ही हासिल हो। यह है आस्तीन का सांप। कामतः कामग कातर, काबुक रखो चांप। फण पैर के नीचे, हाथ पूॅंछ ढूंढ़ता बिल हो। ऐसा दोस्त दोगला, जिससे दग़ा ही हासिल हो। ऐसा पाक प्रयास हमने, पहले भी किया था। उस दोस्ती का सिला हमको, करगिल में दिया था। दज्जाल के दग़े से बचो, जिससे ना करगिल हो। ऐसा दोस्त दोगला, जिससे दग़ा ही हासिल हो। जितना गोला बारूद जमा, हर वर्ष दिवाली आता काम। क्या औक़ात, औक़ात बिसरी की, पर नाग़ा से डरता है राम। कंकर, कंकर ही रहेंगे, सिल सिल हो। ऐसा दोस्त दोगला, जिससे दग़ा ही हासिल हो। दोस्ती उसी से, जो दोस्ती क़ाबिल हो। ऐसा दोस्त दोगला, जिससे दग़ा ही हासिल हो।