चंद्र प्रकाश 12 Nov 2023 कविताएँ समाजिक 11559 0 Hindi :: हिंदी
हम अभ्यस्त हुए -59 शक्ति महिला, अरमान, फरमान, कर्ज दान ईमान सब त्रस्त हुए, रीत पुरानी, कुरीत जनानी, करें मन मानी, हम अस्त - व्यस्त हुए, चलते जो देखा, राह पड़ी रेखा, चलना उसी पर, हम अभ्यस्त हुए, विचार हुआ, अधिकार बेटी, बहिष्कार हुआ, हम परस्त हुए, प्लान अपना, पड़ा झुकना, लाज समाज रखना, स्वपन सारे अस्त हुए, बहन बेटी बुलाता, कन्यादान लीख भार ना चढ़ाता, सीपी अस्वस्थ हुए, महिलाशक्ति करती प्रतिनिधित्व, काश ! शादी शहर कर जाता II 1 II काश ! मैं सरकारी ना होता, या थानेदार गोहाना होता ! समाज परिवार मनाने का मेरा , सरकारी अधिकार होता, काश ! परिवार का बड़ा और समझदार मैं होता, मेरे विचारों से अवगत हो, हर कोई सहमत होता, काश ! बहन बेटी बुलाता, दान, जनों का लीख, भार ना चढ़ाता, महिलाशक्ति करती प्रतिनिधित्व, काश ! शादी शहर कर जाता II 2 II आज मैं दीन हुआ, घर समाज अधीन हुआ, गमगीन हुआ, चाहता कर्म जो करना, किया नहीं, कर्महीन हुआ, शर्तें सारी, बाँतें हमारी, बनी लाचारी, करने को विवश हुआ, ये सारी शालीनता, दीनता समाज घर अधीनता मेरी, बनी चिंता मेरी, मैं “लीक नई, राह नई” तुम बिन चल नहीं पाता, महिलाशक्ति करती प्रतिनिधित्व, काश ! शादी शहर कर जाता II 3 II आमंत्रण निमंत्रण मेरा, छुटा नियन्त्रण मेरा, ये सहयोग तुम्हारा, ना बने वियोग मेरा, ग्रामीण दान किया नहीं, आयोजन शादी भाग लिया नहीं, इरादा मेरा था गरीब सहारा, अधुरा अर्ज, बना कर्ज मेरा रीत कन्यादान गरीब सहारा, लेना कर्ज नहीं फ़र्ज मेरा, अकेला कभी जिया नहीं, बिन परिवार, जीना मुझे नहीं आता, महिलाशक्ति करती प्रतिनिधित्व, काश ! शादी शहर कर जाता II 4 II चन्द्र प्रकाश गौड़ @ सेठी 24.10.23