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कोरोना काल

Uma mittal 30 Mar 2023 कहानियाँ बाल-साहित्य कोरोना काल , बाल कथा ,बच्चों की कहानी 66271 0 Hindi :: हिंदी

 चीकू काफी उदास हो गया था घर के बाहर भी निकलना मना था बस सबकी जुबान पर एक ही बात थी बाहर नहीं जाना कोरोनावायरस है न   स्कूल जाना था ना पिकनिक ना दोस्तों के घर और ना ही बाजार घर में रहते रहते चीकू काफी बोर हो गया था दो गली छोड़कर ही चीकू की नानी का घर था पर वहां भी जाने की मनाही थी 1 दिन बड़े प्यार से चीकू ने अपने पापा से कहा पापा आप मुझे नानी के घर छोड़ आओ चीकू के पापा ने कहा बाहर पुलिस घूम रही है तुमने सुना नहीं मोदी जी ने कहा है बाहर नहीं निकलना तुम कहीं नहीं जाओगे घर पर ही रहो| चीकू की आंखों में आंसू आ गए उसकी भरी आंखों को देखकर चीकू की मम्मी ने चीकू को कहा मैं कुछ इंतजाम करती हूं उनके घर एक बहुत बड़ा घड़ा पुराना पड़ा हुआ था चीकू की मम्मी ने उस घड़े में दो आंख 2 हाथ की जगह सुराख किए फिर चीकू को श्री कृष्ण भगवान की ड्रेस पहनाई जो चीकू की लकी ड्रेस थी फिर चीकू को घड़े में बिठाया और ऊपर से ढक्कन बंद कर दिया और फिर घड़े को लुढ़का दिया और अपने मायके फोन कर दिया बस फिर क्या था अपनी दो आंखों और दो उंगलियों की सहायता से चीकू नानी के घर जाने लगा दूर से कुछ पुलिस वालों ने देखा अरे यह घड़ा अपने आप कैसे चल रहा है अभी कोई कुछ समझता इससे पहले ही चीकू अपनी नानी के घर पहुंच गया बच्चों यह कहानी तुम्हें कैसी लगी यह मात्र एक कहानी है इसे सच मत मान लेना बस कहानी पढ़ कर खुश हो जाना! 
 उमा मित्तल (राजपुरा टाउन ) 
पंजाब

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