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ज़िन्दगी की माया

akhilesh Shrivastava 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक ज़िन्दगी की वास्तविकता 11486 0 Hindi :: हिंदी

ज़िन्दगी की माया 


ये जिंदगी की माया
कोई समझ न पाया
ये ज़िन्दगी हमारी
है अनबुझी पहेली।।

कभी खुशी का समंदर
कभी गमों का है मंज़र
किसी को बनाया रंक
कोई बन गया सिकंदर।।

हमें बचपन से मिला है
माता -पिता का साया
संस्कार और गुणों का 
उनसे ही सबक पाया ।।

पढ़ लिखकर बड़े होकर
जीवन अपना संभाला
गृह लक्ष्मी को लाकर
घर अपना है बसाया।।

खुशियों से महकी बगिया
घर आंगन मुस्कराया
बच्चों की किलकारी से
घर  में आनंद आया।।

जिम्मेदारियों से हमने
फर्ज अपना है निभाया
परिवार में सभी का
हमने है कर्ज चुकाया।।

घर में सभी सुखी हैं
ये बुजुर्गों की है माया
अब नहीं कोई आशा
"न," अब कोई निराशा।।

उनसे गिला नहीं है
जिनने किया पराया
मिले जो मुझे खुशी से
अपना उन्हें बनाया।।

सांसों की जब तक माया
चल फिर रही है काया
जिस दिन रुकेगी सांसें
हो जाएगी राख काया।।

जाना है इस जहां से 
जो भी यहां पर आया
ये जिंदगी की माया 
कोई समझ  न पाया


रचयिता -अखिलेश श्रीवास्तव जबलपुर
मध्यप्रदेश

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