मोती लाल साहु 13 Jan 2024 ग़ज़ल प्यार-महोब्बत बिरहा की अग्नि- जुदाई- प्रियेसी की तड़प 4436 0 Hindi :: हिंदी
जानता हूं मिलना नहीं है, यकीन है मुझे दरिया के किनारे उसी जगह घंटों गुज़ारता हूं..।। बयां क्या करूं शब्द नहीं, पुकारता हूं उसे शब्द उड़ते हवा में आवाज नहीं घंटों गुज़ारता हूं..।। सुकून नहीं ये दिल बेचैन, ये तड़पता है तेरी याद ही ज़ीने का सबब ये जीवन अब गुज़ारता हूं..।। -मोती